योगी आदित्यनाथ : एक राजनीतिक दिग्गज की अद्भुत यात्रा

गेरुआ से सत्ता तक का सफर गोरखपुर के ऐतिहासिक गोरखनाथ मठ के महंत और उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ एक ऐसा शख्सियत जिनके बारे में लिखना किसी इतिहास के पन्ने को उलटने जैसा है। अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने तक साधु संन्यासी से राजनीति के शीर्ष तक पहुंचने का उनका सफर असाधारण है और बहसों का भी केंद्र बना रहा है। आज, यूपी के करोड़ों लोगों के मुखिया के तौर पर उनका व्यक्तित्व, कार्यशैली और विचारधारा राष्ट्रीय मंच पर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। उनके समर्थक उन्हें उत्तर प्रदेश के नवनिर्माणकर्ता के रूप में देखते हैं तो वहीं विपक्ष उन्हें विवादास्पद और विभाजनकारी नेता की संजा देता है लेकिन योगी आदित्यनाथ का सफर, उनके चरित्र का निर्माण और उनकी राजनीतिक रणनीति हर किसी के लिए दिलचस्प पहेली बनी हुई है। आइए, आज इसी पहेली के कुछ आखर तलाशने की कोशिश करें।

पहाड़ों की गोद में पले-बढ़े योगी का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक राजपूत परिवार में हुआ। बचपन से ही आध्यात्मिकता उनके खून में रमी थी। 21 साल की उम्र में ही वो गृह त्याग कर गोरखपुर के गोरखनाथ मठ पहुंचे और महंत अवैद्यनाथ के शिष्य बन गए। यहीं साल 1994 में उन्हें दीक्षा मिली और उनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।

मठ में रहते हुए योगी ने गहन अध्यात्मिक साधना की और गोरखनाथ पीठ की परंपराओं को आत्मसात किया। धर्मार्थ और सामाजिक कार्यों में सक्रिय योगी ने साल 1998 में हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की, जो उनके विचारों और कार्यों को समझने की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। हिंदू युवा वाहिनी का उ‌द्देश्य युवाओं को सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करना और हिंदू संस्कृति की रक्षा करना था। इस संगठन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप भी लगे, लेकिन इसकी समाजिक कार्यों में भी बड़ी भूमिका रही।

साल 2002 में बीजेपी के टिकट पर योगी पहली बार लोकसभा पहुंचे। तब से लेकर साल 2017 तक वो लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद चुने गए। लोकसभा में धर्म, सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों पर मुखर होकर बोलने वाले सांसद के तौर पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई।

अविश्वसनीय जनाधार और गोरखनाथ मठ के समर्थन के साथ योगी ने साल 2017 में धमाकेदार जीत दर्ज की। योगी आदित्यनाथ के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब बीजेपी ने उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनाया। तब से लेकर आज तक मुख्यमंत्री के तौर पर योगी की कार्यशैली अनुशासनप्रिय और कठोर निर्णयों के लिए जानी जाती है। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कठोर प्रशासन का दंभ दिखाया। अपराधियों पर सख्ती कार्रवाई, अराजकता पर अंकुश और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान उनके शासन के प्रमुख कार्य हैं। स्वच्छता अभियान, महिला सुरक्षा कानून का सख्ती पालन और बुनियादी ढांचे के विकास पर भी उन्होंने जोर दिया है। गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट का निर्माण और अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का समर्थन उनके अन्य उल्लेखनीय कार्य हैं। वही यह भी देखने को मिलता है कि माफिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके सख्त रवैये को खूब समर्थन मिलता है। यूपी में कानून-व्यवस्था को सुधारने, गोकशी पर रोक लगाने और साफ- सफाई अभियान को लेकर उनके कदम उठाए गए हैं।

आर्थिक विकास, रोजगार निर्माण और शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने जैसे मुद्दों पर भी योगी ने फोकस किया। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कई शहरों का विकास, किसानों के लिए योजनाएं और महिला सुरक्षा पर जोर देना उनके अन्य प्रमुख कार्य हैं।

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Ashutosh Chaubey

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