दिल्ली में प्रदूषण, एक गंभीर समस्या जिसका समाधान अभी भी बाकी
2 Apr, 2024
दिल्ली, वायु प्रदूषण का एक दृश्य - फोटो स्त्रोत - iStockphoto
दिल्ली, भारत की राजधानी और एक प्रमुख आर्थिक केंद्र, प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। प्रदूषण का स्तर अक्सर इतना खराब होता है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यहां प्रदूषण के कई कारण हैं, जिनमें वाहनों का उत्सर्जन, औद्योगिक इकाइयों का उत्सर्जन, और पराली जलाना आदि शामिल है।
दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाले धुएं का उत्सर्जन माना जाता है। भारत सरकार के केंद्रीय मोटर वाहन निरीक्षण (CMVR) द्वारा साल 2023 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में कुल 30,391,000 वाहन पंजीकृत हैं और ये वाहन हर साल लाख टन प्रदूषक उत्सर्जित करते है।
औद्योगिक इकाइयों का उत्सर्जन भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। दिल्ली में कई औद्योगिक क्षेत्र हैं और ये क्षेत्र अक्सर प्रदूषण के उच्च स्तर के लिए जिम्मेदार होते हैं। दिल्ली में 200 से अधिक औद्योगिक क्षेत्र हैं, जिनमें भारी उद्योग, लघु उद्योग, और घरेलू उद्योग शामिल हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला धुआं, गैस, और धूल वायु गुणवत्ता को खराब करने में योगदान देते हैं।
पराली ज्वलन भी प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हर साल ठंडी में दिल्ली के आसपास के राज्यों के किसान फसल काटने के बाद पराली जला देते हैं। यह पराली ज्वलन दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में योगदान देता है। पराली ज्वलन से निकलने वाले प्रदूषक जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन प्रदूषकों से सांस की समस्याएं, दिल की समस्याएं, कैंसर, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो रही हैं। भारतीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 2023 में दिल्ली में पराली ज्वलन के कारण 100 मिलियन टन से अधिक प्रदूषक उत्सर्जित हुए। यह दिल्ली में प्रदूषण के कुल उत्सर्जन का लगभग 40% है। इसी साल दिल्ली में पराली ज्वलन के कारण AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) कई बार "गंभीर" या "खतरनाक' स्तर पर पहुंच गया।
सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार ने नए मानदंड लागू किए हैं। इन मानदंडों के अनुसार, 1 अप्रैल 2020 से सभी नए वाहनों को बीएस-6 उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने का नियम है। बता दें बीएस-6 मानदंड बीएस-4 मानदंडों की तुलना में अधिक सख्त हैं और इन मानदंडों का पालन करने वाले वाहन कम प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं।
दिल्ली सरकार ने वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कई अन्य उपाय भी किए हैं। इन उपायों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का नियमित रूप से परीक्षण करना और पुरानी और प्रदूषणकारी वाहनों को बंद करना और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना शामिल है।
सरकार ने पराली जलाने को रोकने के लिए कई उपाय किए जिसमें प्रधानमंत्री फसल अवशेष प्रबंधन योजना (PM-FMNP) के तहत किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना, पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाना और साथ ही पराली प्रबंधन के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना। इन उपायों के कुछ सकारात्मक परिणाम हुए हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में पराली जलाने से होने वाले प्रदषण में कमी आई है। हाल के आंकड़ों के अनसार दिल्ली में 2023 में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में 20% की कमी आई है। यह कमी नए मानदंडों के लागू होने और अन्य उपायों के कारण हुई है।
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार, उद्योग, और नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए और अधिक कड़े कानून और नियम बनाने की आवश्यकता है। उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के उपायों में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। नागरिकों को भी प्रदूषण को कम करने के लिए अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, साइकिल चलाना, और बिजली की खपत कम करना। वही अगर इन चीजों पर ध्यान नही दिया गया तो बस यही कहने को रहेगा ‘दिल्ली में प्रदूषण, एक गंभीर समस्या जिसका समाधान अभी भी बाकी।’
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