साल 1995 में राजीव सुबह जल्दी उठकर अखबार बाँटने वाले हॉकर का इंतजार कर रहा होता है और उसे आते देख राजीव के चेहरे का भाव घबराहट में बदल जाता है। दरअसल राजीव की मैट्रिक परीक्षा का परिणाम एक दिन पूर्व घोषित हुआ था जिसके संदर्भ में अनुक्रमांक वार सूचना अगले दिन समाचार पत्र में प्रकाशित होनी थी। राजीव ने जल्दी से समाचार पत्र खोलकर अपना अनुक्रमांक उत्तीर्ण छात्रों की सूची में देखा और खुशी से झूम उठा।
वहीं दूसरी ओर लगभग 29 वर्ष बाद 2024 में श्याम को जब पता चला कि उसकी मैट्रिक परीक्षा का परिणाम आज दोपहर 12 बजे आयेगा तो वह अपने मोबाइल फोन में ही इंटरनेट के माध्यम से परिणाम आने के 15 मिनट बाद अपना परिणाम प्राप्तांको सहित देख लेता है।
उपरोक्त दोनों ही केस अध्ययन में समय के साथ एक अन्य महत्त्वपूर्ण अंतर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, इंटरनेट जाल की मौजूदगी के स्तर पर देखा जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के विकास ने सूचना के तीव्र एवं निर्वाध संचरण को सरल बनाया है, इसके अलावा इस प्रौद्योगिकी के वर्तमान में बहुआयामी प्रयोग ने इसे देश के विकास के मुख्य आधार स्तम्भ के रूप में स्थापित किया है।
साथ ही संचार क्रांति के इस दौर में वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के साथ साथ कदम मिला कर चलने के लिए डिजिटल रूप से सम्पन्न होना भी एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। भारत में राजीव गांधी के प्रयास से शुरु संचार क्रांति के प्रयास अटल जी के जादुई डिब्बे (मोबाईल) से होते हुये आज इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ए. आई. तीव्रतम सूचना संचार तक आ पहुंचा है। इस सफर में मुख्य ध्येय भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना रहा।
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